सड़क

एक शाम थी, वैसे तो आम जैसी ही थी। लेकिन जब आप किसी ऐसे के साथ होते हैं जिनके साथ वक्त थम सा जाता है तो फिर कोई समय सामान्य नहीं होता।
ऐसी ही प्यारी सी एक शाम थी। सड़क किनारे चल रहे थे हमदोनों। उसने मेरे हाथों को पकड़ रखा था, और यू जकड़ा नहीं था बस पकड़ रखा था, जैसे छोटे बच्चे के हाथ को पकड़ते हैं ताकि वो इधर उधर ना जाए। 
हां ठीक वैसे ही, उंगलियों में उंगलियों को फसा कर।
तभी हमारा स्टॉप आ गया। उसने हाथ छुड़ा कर रिक्शेवाले को रोका और पगडंडी से उतर कर सड़क पर आ गया। अपने दूसरे हाथ से उल्टी तरफ़ से आती गाड़ियों को रोकते हुए उसने दो चार कदम बढ़ाए और एकदम से बिना मेरी तरफ़ देखे अपना हाथ मेरी तरफ़ पीछे से बढ़ाया। 
उस वक्त की मुस्कुराहट मुझे मेरी आज भी याद है। ऐसा लगा जैसे अब जो पकड़ूंगी ये हाथ तो साथ छूटेगा नहीं कभी। और पता है क्या ये बात सच हो गई। लेकिन इसके बारे में किसी और रोज़ बातें करेंगे। 
फिलहाल तो वही सड़क पर चलते हैं। हां तो मैं मन ही मन में नाचती हुई और वास्तविकता में छोटे बच्चे जैसी कूदती हुई आगे बढ़ी और हाथ पकड़ लिया उसका।  बिना ये सोचे के वो मुझसे समान मांग रहा था या मेरा हाथ। हा हा हा।
खैर मैं बहुत खुश थी, इतनी की आज भी जेहन में एक एक पल वैसे ही है जैसे तब थी। कितना खूबसूरत होता है ना। जिसको आप प्यार करते हो वहां आपको मेहनत नहीं करनी पड़ती, सब कुछ कितना सहज होता है। छोटी छोटी बातें कितनी विशेष बन जाती हैं । और बस याद रह जाती है। 

Comments

Popular posts from this blog

और मैं मुस्कुरा कर उसके पास बैठ गया

Eyes....

प्रशंसा पत्र