नानी का घर और मुरमुरे-चने की घुघनी
ये तस्वीर देख कर बहुत लोग को कुछ ना कुछ याद आ गया होगा। मेरी भी एक बड़ी ही पुरानी और मीठी याद जुड़ी है इससे, हालाकि ये खाने में नमकीन है। हा हा...
नानी का घर, हां भाई, नानी के घर के कभी सुबह या तो कभी शाम का नाश्ता। मुझे बहुत पसंद है, पेट भरा होने के बाद भी खा सकती हूं मैं इसको। आपने खाई है कभी, काले चने और आलू की सब्जी और कुरकुरे मुरमुरे।
लिखते वक्त स्वाद मुंह में आ गया। मम्मी आज भी संडे स्पेशल कह कर इसको बनाती है। मुझे अब ये हमेशा नहीं मिलता खाने को, क्योंकि काम के सिलसिले में हम सब परदेसी हो गए हैं, अब अपना कोई स्थाई ठिकाना नहीं रहा। काश ये वक्त पीछे जाने का रास्ता मिटाते नहीं जाता तो हम भी उस दौर में लौटना चाहते हैं, जब हम नानी के घर जाया करते थे। शायद ही कोई ऐसा हो जो ये कहे की नानी के घर में उनकी कोई प्यारी सी याद नहीं है या उनका बचपन नहीं बीता हो।
कभी सोचा है, मामाओं, मासियों, भाई- बहनों से भरा घर नानी का घर क्यों कहलाता है..!!
होना तो इसे मम्मी के पापा का घर, मेरे कहने का मतलब ये है कि नाना का घर कहलाना चाहिए इसे। लेकिन नहीं, इस पुरुष प्रधान समाज में, ये एक ऐसी जगह है जहां हमेशा से नारी का वर्चस्व रहा है, नानी का घर। इसकी सिर्फ एक वजह है नानी का प्यार, जिसकी किसी से भी हम तुलना नहीं कर सकते क्योंकि इसके तुलनात्मक कुछ है ही नही। मेरा नानी का घर, घर मात्र नहीं था पूरा का पूरा जिला था। हमारे नाना जी तीन भाई थे, तो ननियां भी तीन, और उनके बच्चे माने की मम्मी के भाई बहन, कुल मिला का अब तक हुए चौदह लोग, फिर उनमें जोड़ दो हमारे सारे भाई बहन, मतलब मामाओं और मासियों के बच्चे। कसम से भाई साहब हम सिर्फ भाई बहन एक साथ मिल जाते थे जब, तब पूरा एक गांव बना देते थे। मज़ा बहुत आता था, बस सुबह पॉटी जाने में दिक्कत होती थी, क्युकी लाइन लगानी पड़ती थी। सब सुबह उठ ही जाते थे और मैं तो रात का उल्लू थी बचपन से, सुबह नींद खुलती ही नहीं थी। 🥲
लेकिन आज सब बदल गया है। नानी बूढ़ी, बहुत बूढ़ी हो चली है, लाठी का सहारा लेती है क्योंकि हम जिले जैसी आबादी वाले भाई बहन उनका सहारा नहीं बन पाए।
हम अपनी ज़िंदगी और उसकी उलझनों में उलझे पड़े हैं। किसी दो दिन वाली छुट्टी में अपनी गाड़ी निकालती हूं और किसी वार को नानी के घर की ओर चल पड़ती हूं, सात से आठ घंटे की दूरी तय कर शाम को वहां पहुंचती हूं। सूरज ढलने को होता है, नानी के पास तो पहुंच जाती हूं लेकिन वो मुझे देख नहीं पाती अब। क्योंकि आंखों में अब वो रोशनी नहीं रही। सूरज जाते जाते बहुत अंधेरा कर जाता है, क्या ही बताऊं कैसा अंधेरा।
अब नानी आवाज़ से मुझे पहचानती है। और बस सबको कहती रहती है, सोनुआ के कुछ्छो खाएल देहीं कोई।
और दूसरे दिन सुबह वापस लौटने की हड़बड़ी।
छुट्टी लेकर नहीं जाती मैं वहां, क्योंकि छुट्टियां लेकर तो ट्रिप और वेकेशंस पर जाना होता है ना। यार ये ऐसा क्यों है।
आंखें डब डबा जाती हैं लेकिन क्या कर सकते हैं, हम यहां आकर रह नहीं सकते, क्योंकि हम बड़े लोग हैं, बड़े व्यस्त लोग, डिफरेंट लाइफस्टाइल यू नो।
और नानी जिनको यहां इतने खुले और साफ वातावरण में रहने की आदत है, वो हमारे उस टू bhk अपार्टमेंट में घुट जायेगी। ऐसा excuse हमने तैयार कर रखा है। खैर नानी ने जो हमारे लिया किया उसके बदले में वो क्या चाहती होगी, क्योंकि कभी तो उसने कुछ मांगा नहीं। और मांगे भी तो हम दे ही सकते हैं सब कुछ, सिवाय अपने वक्त और साथ के। और हमारा दिल कहीं ना कहीं जनता है कि अगर उसने कुछ मांगा तो वो यही होगा कि हम कुछ पल उनके साथ बिताए। और हम इसी से डरते भी हैं वो ऐसा बोल ना जाए।
हम कितने स्वार्थी हो चले हैं। व्यस्त स्वार्थी। कहीं पढ़ा था मैंने, हम गज़ब व्यस्त नहीं, गज्जब व्यस्त हो गए हैं।
  
Bahut khubsurat tareeke se aur puri sachchai se vyakt ki hai
ReplyDeleteNani ka ghar.......meri to aadhi jindgi wahi gujri...aur jindgi puri kar rahe hain bas nani ki yaad me 🥺🥺
Thank youuuuuu Mishra... Tumhara to pura bachpan hi naani ke sath bita... Lucky one .. ❤️
Deleteबहुत अच्छा वृतांत रहा आपका, मानो जैसे आपने मेरे साथ मेरे ननिहाल का भ्रमण किया हो कभी , पता है माँ कहती थी की तुम जब इस दुनिया मे आए थे तो साढ़े चार किलो के थे और वो बूढ़ी जब देखो तब तुम्हारी तेल मालिश कर तुम्हें नदी की सैर कराने भाग उठती थी, आज आपकी स्टोरी पढ़ कर और साथ साथ छठ पुजा की गीत सुन कर मैं जो इमोश्नल हो रहा हूँ क्या कहु , जब मैं थोड़ा बड़ा हुआ और गर्मी छुट्टी मे गाँव जाता था तो अपनी छुट्टियों के सिर्फ कुछ ही दिन वह रह पता था , पता नहीं पापा और ज्यड़ा दिन क्यू नही वहा हमे छोड़ते ....
ReplyDeleteI Miss her So Much , मैं खोजता हूँ पहाड़ो पे उस आकाश गंगा मे तुम्हें नानी बस किसी को बोल नहीं पाता , किसी के सामने रो भी नहीं पाता।
मैं आपसे बस यही कहूँगा रह लो किसी तरह , रख लो उन्हे अपने पास किसी तरह , जी लो उनके साथ किसी तरह,
किसी तरह,
किसी तरह......किसी तरह.......
Thank youuuuuu ... Will try for sure with all the heart and effort...
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