Kashmir Great Lakes Day 2



यही वाली तस्वीर क्यों, कहानी का शीर्षक अगर कश्मीर से शुरू हुआ हो तो तस्वीरें खूबसूरत आनी चाहिए थी।
लेकिन आज हम किसी और तरीके से शुरू करते हैं।
Parsicaria Affins... ये जो हल्के गहरे गुलाबी रंग के फूल हैं इनका नाम है। लगभग 12000 mts की ऊंचाई चढ़ने के बाद दिखे। दुर्लभ, अति दुर्लभ। 
पहले दिन लगभग 16 किलोमीटर चढ़ाई कर के मेरी हालत पूरे ग्रुप में सबसे ज्यादा ख़राब हो चुकी थी। और तबियत वाकई ख़राब थी, जूते, मैं ज़रा नाम ले लूं वुडलैंड के जूते पैरों को काट चुके थे, जैसे मैंने उन्हें कुछ ज्यादा ही चलवा दिया हो। तो कुछ ख़ास अच्छी नहीं थी मेरी हालत। और हां, पहले ही दिन रैना, ट्रेक गाइड ने भी मुझे रेड मार्क कर दिया था।
खैर दूसरे दिन की सुबह जो एक बात मेरे मन में थी, कि मुझे आज किसी भी तरह से सबसे पीछे नहीं रहना पहले दिन जैसे। और यही डर ग्रुप लीडर के मन में भी था फॉर सिक्योरिटी रीजंस, इसलिए मुझे और मंज़ूर दूसरे ट्रेक गाइड को आगे निकलने को कहा गया। हम चल पड़े, थोड़ी दूर जा के ही जूते ने जो पैरों को काटा था वो कहने लगा भाई रुक। लेकिन भाई रुकने वाला नहीं था। लंबी लंबी सांसे ले ले कर चलता गया। रुका चला, चला रुका, थका भी, लेकिन वापस नहीं लौटा। रास्ते में तस्वीरें भी ली हमने, जो कुछ तो मैंने सांझा की है। ऊंचे ऊंचे चट्टानों वाले पहाड़, बर्फीली ठंडी हवा, और बारिश। ये कहीं से अनुकूल मौसम नहीं था। लेकिन मुझे बस ये करना था। वापस लौट जाऊं तो कभी आया ही नहीं मन में। थके थके किसी तरह से हम मैगी प्वाइंट पहुंचे। यकीन मानो मैगी इतनी अच्छी मुझे कभी नहीं लगी। थोड़ा विराम और फिर चलना शुरू।
लेकिन उसके बाद कुछ हुआ, मैं सबसे आगे चल रही थी, मंज़ूर गाइड के बराबर। मंज़ूर जिसके लिए मैं कहती थी कि उसके पैर में चक्के लगे हैं, वो कहीं रूकता ही नहीं।
रास्ते में गाना गुनगुनाते, हंसते हुए इन फूलों के बीच से गुज़रे हम। सुकून था उधर, बहुत शांति और साथ खुद का। वहां तक जाने से पहले मुझे लगता था कि sensitive होना मेरी कमज़ोरी है, मुझे कुछ भी दूसरों से ज्यादा फील होता है जैसे....  आप समझ जाओ क्याहि लिखूं मैं, और यही मुझे कमज़ोर बनाता है।
लेकिन दरअसल ये तो मेरी ताक़त है, i can feel things, the way other can not.... And this makes me different. 
I learnt to let go things while being attached to those, as i love the memories and time i had at that time... So, being a sensitive person is my quality and strength.... 
हां, तो शुरू में तस्वीर डाली मैं वो, इसलिए क्योंकि पहाड़ सिर्फ़ घूमना, और खूबसूरत सीन्स को देखना है नहीं है।
ये है ख़ुद को अपने कम्फर्ट जोन से निकलना और कम resources में जीना। ये हम ख़ुद कुछ दिनों के लिए करते हैं और ये हमारे लिए विशेष जीवन होता है और हम इसको अपने अचीवमेंट में गिनवाते हैं। लेकिन ऐसे लाखों लोग हैं, जो ऐसे ही जीते हैं। यही उनकी ज़िंदगी है। एक आम ज़िंदगी।
और उस दिन कैंप मैं सबसे पहले पहुंची, हां एक दोस्त की मदद से जो अब बिछड़ गया है। 🤗

Comments

  1. Wahh 12000 mts pe dost bichar gya ☹️🤔

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    1. Haan, this is the part of life... We met people and when the lessons or happiness they are destined to give u... Are done then they leave...

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    2. I m not teddy 🧸 I m totawala

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    3. Sorry... Teddy said she commented... So I thought.... Sorry

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  2. Daar ke aage jeet hai..bahut sahi tarike se describe kiya amazing

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    1. Thank youuuuuu.... Darr ke aage jeet hamesha ho na ho... Lekin Darr ke aage Darr to nhi rehta for sure, if u try and go ahead...

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